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अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Tuesday, March 31, 2009

मार्च क्लोजिंग (March Closing - Hindi Hasya Kavita)

खूब हो रहा है आजकल कागजी उठापटक
फंड के फुंडे बनाओ, मुनाफे जाओ गटक
मुनाफे जाओ गटक, भरो इस तरह टैक्स
आयकर बिक्रीकर सब से पाओ रिलैक्स
मार्च क्लोसिंग के वक़्त कुछ भी ग़लत नहीं
उसे भी मिला बज़ट जो पॉलिसी में कभी नहीं ।।

Saturday, March 7, 2009

वाह होली!

होली के महीने में हवाओं में ग़ज़ब की रवानगी होती है। बिरला ही कोई इसके जादू से बच पाये। और जब बात गाँव की होली की हो तो बस यूँ कहिये "बोलो जी सर्रअरअ ररअ". इस साल की होली मेरे लिए बेहद ख़ास है, अपने सपनो को पूरा करने की दिशा में एक तेज़ कदम बढाया है. अपने प्रियजनों से दूर इस साल होली की महफिल "होली और हास्य" यहीं पर सजाता हूँ -

वाह होली -1

मन मोरा झकझोरे छेड़े है कोई राग
रंग अल्हड़ लेकर आयो रे फिर से फाग

आयो रे फिर से फाग हवा महके महके
जियरा नहीं बस में बोले बहके बहके

चहुँ ओर सुनो ढोलक तबले का शोर
शहनाई और मझीरे में खूब ठनी होड़

खूब ठनी होड़ भंग के साथ ठंडाई
बौराया देवर आज खाये मिठाई पे मिठाई

ससुराल की होली में जीजा हुए चित
सालियों के अखारे में भला कौन पायेगा जीत

प्रेम की पिचकारी चलेगी आज कोई गैर नहीं
घुसो पड़ोसी के रसोई में अब कोई बैर नहीं

वाह होली -2


गौना न भइल इ साल मनवा भइल उदास
नई दुल्हिन माइके में और होली आस पास

होली आस पास पर दिल में ना कोई उमंग
जब साजन नहीं अंगना में कोई काहें खेले रंग

घड़ीघड़ी अंखियन में एकही सपना आये
सामने द्वारे पर बालम हमरे आये

बालम हमरे आये, सखियाँ झूटबोल चिढाये
पहुना बिनु होली फेर अइसन न कभी आये

का से कहूँ दिल के हाल केहू ना समझे बात
बीहड़ बीहड़ दिन लागे नागन नागन रात

वाह होली - 3

रंग भरी पिचकारी पिया
तुमने जो चलाई
अंग अंग भीग गया
रंगों से नहाई.

झूम रही बागों में कलियाँ
डाली डाली बौराई
मस्त फागुनी हवाओं की
गुनगुनाती होली आई

रंगों से सराबोर हुई
मेरी सूरत भोली
मैं तो तुमसे हारी 'सुलभ'
और न करो ठिठोली

प्रेम का रंग बरसाना
मेरे जीवन भर हमजोली
रहूँ सदा तेरी बाहों में
मिटे न प्रेम की रोली।

लिंक विदइन

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जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "