Pages

हम आपके सहयात्री हैं.

अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्, उदारमनसानां तु वसुधैव कुटुंबकम्

Thursday, December 11, 2008

मुख्यमंत्री चुनाव December 2008

आये दिन सियासत में अफ़साने बहुत हैं
खेल दावपेंच के आजमाने बहुत हैं.
कुर्सी की दौर में सभी पागल से हुए हैं
इक़ नाजनीन और दीवाने बहुत है .

1 comment:

Anonymous said...

कविताई रूप में लिखने में आप माहिर है । इसी कविता को मै चुनावी मुद्दो को लेकर लिखा हूं । जरूर पढिए ।

लिंक विदइन

Related Posts with Thumbnails

कुछ और कड़ियाँ

Receive New Post alert in your Email (service by feedburner)


जिंदगी हसीं है -
"खाने के लिए ज्ञान पचाने के लिए विज्ञान, सोने के लिए फर्श पहनने के लिए आदर्श, जीने के लिए सपने चलने के लिए इरादे, हंसने के लिए दर्द लिखने के लिए यादें... न कोई शिकायत न कोई कमी है, एक शायर की जिंदगी यूँ ही हसीं है... "